Wednesday, October 10, 2007

कृष्ण मेरी आँखों से

" कृष्ण मेरे लिए उस व्यक्ति का नाम है जिसने जीवन जैसा है , उसे उसी रूप मैं स्वीकार किया था , ना तो भागा था , ना तो कुछ छोड़ा था , जीवन जो भी कुछ दिया उसे वैसे ही स्वीकार किया , जीवन मैं आनंद तभी पैदा होता है जब , हम स्वीकारने को राजी हो जाते हैं , और जीवन जब स्वीकार्यता का परिचय बन जता है तभी , होंठों से बंश्री के स्वर लहर जाते हैं , प्रेम का साहस नृत्य बनकर जीवन को आनंद का परिचय देता है "


विवेक जी " कृष्ण मेरी द्रष्टि मैं " प्रवचनांश से

सोर्स: आनंद ही आनंद , मैगजीन से

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