" जहाँ तक मैं देख पता हूँ मुझे तू यही लगता , पूरी दुनिया कम से कम प्रेम के मामले में भिखारी है , हर एक कोई प्रेम पाना चाहता है , कोई प्रेम अकारण नहीं देना चाहता , संबंध अगर कमजोर हो रहें हैं तो कारण सिर्फ इतना है , हम सब सम्बंधों में प्रेम की आशा से जाते हैं , हम प्रेम देना नहीं , पाना चाहते हैं , और दो भिखारी क्या एक दुसरे को दे सकते हैं , वो तो केवल मांग कर साकते हैं ।
विवेक जी " प्रेम -मेरी जानी "
सोर्स : आनंद ही आनंद , नेशनल मैग्जिन
Friday, October 26, 2007
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